आईजीएमसी फर्जी सैंपल मामला: पुलिस जांच तेज, कर्मचारी संघ की सख्त कार्रवाई की मांग

आईजीएमसी

शिमला, 28 नवंबर (Crimes Of India) । इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं Hospital (आईजीएमसी) शिमला में मरीजों से खून के नमूने फर्जी तरीके से एकत्र करने के मामले में Police ने जांच तेज कर दी है। गुरूवार को Hospital परिसर में मरीजों से खून के नमूने लेते हुए धरी गई महिला के खिलाफ अब Police चौकी लक्कड़ बाजार स्तर पर कार्रवाई शुरू हो गई है। इस संबंध में Hospital प्रशासन ने लिखित शिकायत Police को सौंपी थी, जिसके बाद Police ने मामले की परतें खोलनी शुरू कर दी हैं।

आईजीएमसी प्रशासन को विभिन्न वार्डों और इमरजेंसी क्षेत्र से लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि एक महिला खुद को लैब तकनीशियन बताकर मरीजों से सैंपल ले रही है, जबकि उसके पास न तो पहचान पत्र है और न ही कोई अधिकृत दस्तावेज। Hospital की ओर से मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर राहुल राव के पी.ए. द्वारा महिला की वास्तविकता जांचने के लिए उसे बुलाया गया। पूछताछ के दौरान वह अपना पहचान पत्र और प्रोफेशन से जुड़े दस्तावेज दिखाने में असमर्थ रही। पूछताछ में उसने बताया कि वह पूर्व में किसी निजी लैब से जुड़ी हुई थी और उसी की ओर से नमूने ले रही थी। इतना ही नहीं उसने एक अन्य व्यक्ति का नाम भी लिया, जो नमूना संग्रहण के काम में उसके साथ होने की बात बताई गई।

Hospital प्रशासन ने इसे गंभीर सुरक्षा उल्लंघन बताते हुए कहा कि बिना अनुमति Hospital परिसर में इस तरह की गतिविधियां मरीजों की सेहत और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं। प्रशासन ने Police से कठोर कार्रवाई की मांग की है और यह स्पष्ट किया है कि भविष्य में ऐसी गतिविधियों को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

उधर, आईजीएमसी एवं दंत महाविद्यालय कर्मचारी संघ भी इस मामले में कड़े शब्दों में विरोध जताते हुए आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है। संघ के प्रधान हरिंद्र सिंह मैहता ने कहा कि निजी लैबों के कर्मचारी Hospital ों के अंदर घुसकर मरीजों से सैंपल एकत्र कर रहे हैं और लंबे समय से शिकायतें आ रही थीं कि इन लैबों की ओर से मरीजों से अधिक शुल्क भी वसूला जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकारी तकनीशियनों को हर तीन वर्ष में पंजीकरण करवाना पड़ता है और नियमों का पालन न करने पर सजा व इन्क्रीमेंट रोकने का प्रावधान है, जबकि निजी लैब संचालन और उनके कर्मचारियों की योग्यता पर किसी का नियंत्रण नहीं है।

संघ ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु और स्वास्थ्य मंत्री कर्नल डॉ. धनी राम शांडिल से मांग की है कि एक ऐसी निगरानी बॉडी बनाई जाए, जो लैबों की कार्यप्रणाली, सैंपलिंग व्यवस्था और वहां तैनात स्टाफ की योग्यता की जांच करे और अनियमितता पाए जाने पर संबंधित लैबों को तुरंत बंद करवाया जाए।

फिलहाल Police मामले की गहन जांच कर रही है और Hospital प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि मरीजों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है तथा भविष्य में इस तरह के मामलों में किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती जाएगी।

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(Crimes Of India) / उज्जवल शर्मा

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